चन्दन सा बदन चंचल चितवन ...
धीरे से ये तेरा मुस्काना...
मुझे दोष ना देना जग वालों ....
हो जाए अगर दिल दीवाना ...
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ये विशाल नयन जैसे नील गगन ...
पंछी की तरह खो जाऊं मैं ...
सिरहाना जो हो तेरी बाहों का अंगारों पर सो जाऊं मैं
मेरा बैरागी मन डोल गया देखी जो अदा तेरी मस्ताना .....
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तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर तू सुन्दरता की मूरत है...
किसी और को शायद कम होगी मुझे तेरी बहुत ज़रूरत है ...
पहले भी बहुत दिल तरसा है तू और न दिल को तरसाना ....
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चन्दन सा बदन चंचल चितवन ...
धीरे से ये तेरा मुस्काना...
मुझे दोष ना देना जग वालों ....
हो जाए अगर दिल दीवाना ...
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