तू मेरे सामने है
तेरी जुल्फें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला
मैं भला होश में कैसे रहूँ
.....
तेरी आँखें तो छलकते हुये पैमाने हैं
और तेरे होंठ लरजते हुये मैखाने हैं
मेरे अरमान इसी बात पे दीवाने हैं
मैं भला होश में कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है ...
....
तू जो हंसती है तो बिजली सी चमक जाती है
तेरी साँसों से गुलाबों की महक आती है
तू जो चलती है तो कुदरत भी बहक जाती है
मैं भला होश में कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है
...
तू मेरे सामने है
तेरी जुल्फें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला
मैं भला होश में कैसे रहूँ
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