अब के बरस भी बीत न जाये, ये सावन की रातें
देख ले मेरी ये बेचैनी, और लिख दे दो बातें खत लिख दे साँवरिया के नाम बाबू कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे कैसे होती है, सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान
जाएंगे
खत लिख दे सारे वादे निकले झूठे सामने हो तो कोई उनसे रूठे ले गई बैरन शहर पिया को राम करे कि ऐसी नौकरी छूटे उन्हें जिसने....जिसने, उन्हें जिसने बनाया गुलाम बाबू कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे खत लिख दे जब आएंगे सजना मेरे खन खन खनकेंगे, कँगना मेरे पास गली में घर है मेरा उस दिन तू भी आना अँगना मेरे कुछ तुझको ...... तुझको, कुछ तुझको मैं दूँगी ईनाम बाबू कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे खत लिख दे और बहुत कुछ है लिखवाना कैसे बताऊँ तुझे तू बेगाना शर्म से आँखें झुक जाएंगी धड़क उठेगा मेरा दिल दीवाना बस आगे ... आगे बस आगे नहीं तेरा काम बाबू कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे कैसे होती है सुबह से शाम बाबू वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे खत लिख दे
खत लिख दे साँवरिया के नाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे कैसे होती है, सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान
जाएंगे
खत लिख दे |
Thursday 28 June 2012
खत लिख दे साँवरिया के नाम बाबू
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment