जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो मुझे
एक इंसान हूँ मैं तुम्हारी तरह ...
जिसने सब को रचा अपने ही रूप से ...
उसकी पहचान हूँ मैं तुम्हारी तरह .....
....
इस अनोखे जगत की मैं तकदीर हूँ ...
मैं विधाता के हाथों की तस्वीर हूँ ....
एक तस्वीर हूँ ....
इस ज़हान के लिए धरती माँ के लिए ...
शिव का वरदान हूँ मैं तुम्हारी तरह ...
जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो मुझे
एक इंसान हूँ मैं तुम्हारी तरह ...
.......
मन के अन्दर छिपाए मिलन की लगन...
अपने सूरज से हूँ एक बिछड़ी किरण ...
एक बिछड़ी किरण..
फिर रहा हूँ भटकता मैं यहाँ से वहां ...
और परेशान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो मुझे
एक इंसान हूँ मैं तुम्हारी तरह ...
......
मेरे पास आओ छोड़ो ये सारा भरम ....
जो मेरा दुःख वही है तुम्हारा भी ग़म ...
है तुम्हारा भी ग़म ...
देखता हूँ तुम्हें जानता हूँ तुम्हें ...
लाख अनजान हूँ मैं तुम्हारी तरह ....
जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो मुझे
एक इंसान हूँ मैं तुम्हारी तरह ...
.......
जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो मुझे
एक इंसान हूँ मैं तुम्हारी तरह ...
जिसने सब को रचा अपने ही रूप से ...
उसकी पहचान हूँ मैं तुम्हारी तरह .....
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