Thursday 28 June 2012

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए



कहाँ चला ए मेरे जोगी
जीवन से तू भाग के
किसी एक दिल के कारण
यूँ सारी दुनिया त्याग के

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

तन से तन का मिलन हो ना पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर ही से सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको संसार में
है दिया ही बहुत रौशनी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हे
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गयी है तो क्या
दूसरा तुम जहान क्यूँ बसाते नहीं
दिल ने चाहा भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सबकी खुशी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

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