मेरा तो जो भी कदम है वो तेरी राह में है ....
के तू कहीं भी रहे तू मेरी निगाह में है ...
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खरा है दर्द का रिश्ता तो फिर जुदाई क्या ...
जुदा तो होते हैं वो खोट जिनकी चाह में है ...
मेरा तो जो भी कदम है वो तेरी राह में है ....
के तू कहीं भी रहे तू मेरी निगाह में है ...
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छुपा हुआ सा मुझी में है तू कहीं ए दोस्त
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मेरी हंसी में नहीं है तो मेरी आह में है ...
मेरा तो जो भी कदम है वो तेरी राह में है ....
के तू कहीं भी रहे तू मेरी निगाह में है ...
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मेरा तो जो भी कदम है वो तेरी राह में है ....
के तू कहीं भी रहे तू मेरी निगाह में है ...
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