दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
मिलने दो अब दिल से दिल को
मिटने दो मजबूरियों को
शीशे में अपने डुबो दो
सब फासलों दूरियों को
आँखों में मैं मुस्कुराऊँ तुम्हारे
जो तुम मुस्कुराओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
हम तुम ना हम तुम रहें अब
कुछ और ही हो गए अब
सपनो की झिलमिल नगर में
जाने कहाँ खो गए अब
हम राह पूछे किसी से
ना तुम अपनी मंजिल बताओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
कल हमसे पूछे जो कोई
क्या हो गया था तुम्हे कल
मुड़कर नहीं देखते हम
दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कहीं रह गए
अब उन्हें मत बुलाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
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Thursday 28 June 2012
दिल की गिरह खोल दो
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