Thursday 28 June 2012

कुछ दिल ने कहा



कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं
कुछ दिल ने सुना
कुछ भी नहीं

ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं

लेता है दिल अंगडाइयां
इस दिल को समझाए कोई
अरमां ना आँखें खोल दे
रुसवा ना हो जाये कोई
सपनो की परियां सोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं

दिल की तसल्ली के लिए
झूठी चमक झूठा निखार
जीवन तो सूना ही रहा
सब समझे आई है बहार
कलियों से कोई पूछता
हंसती हैं या वो रोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं

कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं
कुछ दिल ने सुना
कुछ भी नहीं

ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं


No comments:

Post a Comment