Wednesday 27 June 2012

ना तुम हमें जानो




ना तुम हमें जानो
ना हम तुम्हे जाने
मगर लगता है कुछ ऐसा
मेरा हमदम मिल गया

ये मौसम ये रात चुप है
ये होठों की बात चुप है
ख़ामोशी सुनाने लगी है दास्ताँ
नज़र बन गयी है दिल कि जुबां

मोहब्बत के मोड़ पे हम
मिले सबको छोड़ के हम
धड़कते दिलों का लेके ये कारवां
चले आज दोनों जाने कहाँ

ना तुम हमें जानो
ना हम तुम्हे जाने
मगर लगता है कुछ ऐसा
मेरा हमदम मिल गया 

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