तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
जीने के लिए
सोचा ही नहीं दर्द सम्हालने
होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने
के क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होठों पे क़र्ज़ रखा है ...
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
जिंदगी तेरे गम ने हमें
रिश्ते नए समझाए
मिले जो हमें धुप में मिले
छांव के ठंढे साये
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
आँख अगर भर आई है बूँदें
बरस जायेंगी
कल क्या पता इनके लिए आँखें
तरस जायेंगी
जाने कब गुम हुआ कहाँ खोया
एक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवाल से
परेशान हूँ मैं
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