Wednesday 27 June 2012

रुक जा रात



रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते ना मिलन की रैना
आज चांदनी की नगरी में
अरमानों का मेला

पहले मिलन की यादें लेकर
आई है ये रात सुहानी
दोहराते हैं फिर ये फ़साने
मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी

रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते ना मिलन की रैना
आज चांदनी की नगरी में
अरमानों का मेला

कल का डरना काल की चिंता
दो तन हैं मन एक हमारे
जीवन सीमा से आगे भी
आऊंगी मैं साथ तुम्हारे

रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते ना मिलन की रैना
आज चांदनी की नगरी में
अरमानों का मेला 

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