रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते ना मिलन की रैना
आज चांदनी की नगरी में
अरमानों का मेला
पहले मिलन की यादें लेकर
आई है ये रात सुहानी
दोहराते हैं फिर ये फ़साने
मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी
रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते ना मिलन की रैना
आज चांदनी की नगरी में
अरमानों का मेला
कल का डरना काल की चिंता
दो तन हैं मन एक हमारे
जीवन सीमा से आगे भी
आऊंगी मैं साथ तुम्हारे
रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा
बीते ना मिलन की रैना
आज चांदनी की नगरी में
अरमानों का मेला
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