कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
दूर जुल्फों के छाओं से
कहता हूँ ये हवाओं से
उसी बुत की अदाओं के
अफ़साने हज़ार
वो जो बाहों में मचल जाती
हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती
मिल जाता करार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
अरमान है कोई पास आये
इन हाथों में वो हाथ आये
फिर ख्वाबों की घटा छाए
बरसाए खुमार
फिर उन्ही दिन रातों से
मतवाली मुलाकातों से
उल्फत भरी बातों से
हम होते निसार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
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