Wednesday 27 June 2012

दिल ढूँढता है फिर वही फुरसत के रात दिन



दिल ढूँढता है फिर वही फुरसत के रात दिन 
बैठे रहे तस्स्वुरे जाना किये हुए ....
......
जाड़ों की नर्म धुप और आँगन में लेटकर 
आँखों पर खींचकर तेरे दामन के साए को ...
औंधे पड़े रहे कभी करवट लिए हुये
.....
या गर्मियों की रात जो पुरवाईयाँ चले 
ठंढी सफ़ेद चादरों पे जागे देर तक ...
तारों को देखते रहे छत पर पड़े हुये ...
.......
दिल ढूँढता है फिर वही फुरसत के रात दिन 
बैठे रहे तस्स्वुरे जाना किये हुए ....

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