दिल आज शायर है ...
ग़म आज नगमा है ...
शब् ये ग़ज़ल है सनम ...
गैरों के शेरों को ओ सुनने वाले ...
हो इस तरफ भी करम....
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आके ज़रा देख तो तेरी खातिर हम किस तरह से जिए ...
आंसू के धागे से सीते रहे हम जो ज़ख्म तुने दिए ...
चाहत की महफ़िल में गम तेरा लेकर किस्मत से खेला जुआ ...
दुनिया से जीते पर खुद से हारे यूँ खेल अपना हुआ ...
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है प्यार हमने किया जिस तरह से उसका ना कोई जवाब ...
'गर रात है लेकिन तेरी लौ में जलकर हम बन गाये आफ़ताब
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हमसे है जिंदा वफ़ा और हमही से है तेरी महफ़िल जवां ...
हम जब ना होंगे तो रो रो के दुनिया ढूंढेगी मेरे निशां...
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ये प्यार कोई खिलौना नहीं है हर कोई ले जो खरीद ...
मेरी तरह ज़िन्दगी भर तड़प लो फिर आना उसके करीब ...
हम तो मुसाफिर हैं कोई सफ़र हो हम तो गुज़र जायेंगे ही ...
लेकिन लगाया है जो दांव हमने वो जीत कर आयेंगे ही ...
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दिल आज शायर है ...
ग़म आज नगमा है ...
शब् ये ग़ज़ल है सनम ...
गैरों के शेरों को ओ सुनने वाले ...
हो इस तरफ भी करम....
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