Thursday 28 June 2012

ए दिल-ए-नादान



ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है जुस्तजू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

हम भटकते हैं
क्यूँ भटकते हैं
दश्त-ओ-सेहरा में
ऐसा लगता है
मौज प्यासी है
अपने दरिया में
कैसी उलझन है
क्यूँ ये उलझन है
एक साया सा रु-ब-रु क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

क्या क़यामत है
क्या मुसीबत है
कह नहीं सकते
किस का अरमां है
जिंदगी जैसे खोयी खोयी है
हैरां हैरां है
ये ज़मीं चुप है
आसमां चुप है
फिर ये धडकन सी चार सू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

ए दिल-ए-नादान
ऐसे राहों में कितने कांटे हैं
आरजूओं ने
हर किसी दिल को दर्द बांटे हैं
कितने घायल हैं कितने बिस्मिल हैं
इस खुदाई में एक तू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है जुस्तजू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

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