Friday 29 June 2012

कैसे समझाऊँ बड़ी नासमझ हो


कैसे समझाऊँ बड़ी नासमझ हो ....
जीतोगी ना हमसे तुम रहने दो ये बाजी ....
.........
कैसे समझाऊँ बड़े नासमझ हो ....
आये गए तुम जैसे सैकड़ों अनाड़ी...
.........
हम दिल का साज बजाते हैं...
दुनिया के होश उड़ाते हैं ...
हम सात सुरों के सागर है....
हर महफ़िल में लहराते हैं ...
कैसे समझाऊँ बड़ी नासमझ हो ....
.........
तुम साज बजाना क्या जानो ...
तुम रंग जमाना क्या जानो ...
महफ़िल तो हमारे दम से है ...
तुम होश उड़ाना क्या जानो ...
कैसे समझाऊँ बड़े नासमझ हो ....
..........
मैं नाचूं चाँद सितारों पर ...
शोलों पर और शरारों पर ...
हम ऐसे कला के दीवाने....
छा जाएँ नशीली बहारों पर ....
कैसे समझाऊँ बड़ी नासमझ हो ....

Thursday 28 June 2012

यही वो जगह है



यही वो जगह है यही वो फिजा है
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
इन्हें हम भला किस तरह भूल जाएँ 
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे

यहीं पर मेरा हाथ हाथों में लेकर
कभी ना बिछड़ने का वादा किया था
सदा के लिए हो गए हम तुम्हारे
गले से लगाकर हमें ये कहा था
कभी कम ना होंगीं हमारी वफाएं
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
यही वो जगह है

यहीं पर वफ़ा का नया रंग भर के
बनायीं थी चाहत की तस्वीर तुमने
यहीं कि बहारों से फूलों को चुन कर
संवारी थी उल्फत की तकदीर तुमने
वो दिल आपको याद कैसे दिलाए
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
यही वो जगह है


यही वो जगह है यही वो फिजा है
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे
इन्हें हम भला किस तरह भूल जाएँ 
यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे

मेरा प्यार वो है



मेरा प्यार वो है के मर कर भी तुमको
जुदा अपनी बाहों से होने ना देगा
मिली मुझको जन्नत तो जन्नत के बदले
खुदा से मेरी जां तुम्हे मांग लेगा

ज़माना तो करवट बदलता रहेगा
नयी जिंदगी के तराने बनेंगे
मिटेगी ना लेकिन मोहब्बत हमारी
मिटाने के सौ सौ बहाने बनेंगे
हकीकत हमेशा हकीकत रहेगी
कभी भी ना इसका फ़साना बनेगा
मेरा प्यार वो है

तुम्हे छीन ले मेरी बाहों से कोई
मेरा प्यार यूँ बेसहारा नहीं है
तुम्हारा बदन चांदनी आके छू ले
मेरे दिल को ये भी गंवारा नहीं है
खुदा भी अगर तुमसे आकार मिलेगा
तुम्हारी क़सम है मेरा दिल जलेगा
मेरा प्यार वो है

मेरा प्यार वो है के मर कर भी तुमको
जुदा अपनी बाहों से होने ना देगा
मिली मुझको जन्नत तो जन्नत के बदले
खुदा से मेरी जां तुम्हे मांग लेगा

खत लिख दे साँवरिया के नाम बाबू



अब के बरस भी बीत न जाये, ये सावन की रातें
देख ले मेरी ये बेचैनी, और लिख दे दो बातें

खत लिख दे साँवरिया के नाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
कैसे होती है, सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
खत लिख दे

सारे वादे निकले झूठे
सामने हो तो कोई उनसे रूठे
ले गई बैरन शहर पिया को
राम करे कि ऐसी नौकरी छूटे
उन्हें जिसने....जिसने,
उन्हें जिसने बनाया गुलाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
खत लिख दे

जब आएंगे सजना मेरे
खन खन खनकेंगे, कँगना मेरे
पास गली में घर है मेरा
उस दिन तू भी आना अँगना मेरे
कुछ तुझको ...... तुझको,
कुछ तुझको मैं दूँगी ईनाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
खत लिख दे

और बहुत कुछ है लिखवाना
कैसे बताऊँ तुझे तू बेगाना
शर्म से आँखें झुक जाएंगी
धड़क उठेगा मेरा दिल दीवाना
बस आगे ... आगे
बस आगे नहीं तेरा काम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
कैसे होती है सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
खत लिख दे 

खत लिख दे साँवरिया के नाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
कैसे होती है, सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे, पहचान जाएंगे
खत लिख दे

आज पुरानी राहों से



आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ ना दे
दर्द में डूबे गीत ना दे
गम का सिसकता साज़ ना दे

बीते दिनों जिनकी याद थी जिनमें
मैं वो तराने भूल चुका
आज नयी मंजिल है मेरी
कल के ठिकाने भूल चुका
ना वो दिल ना सनम
ना वो दीन धरम  
अब दूर सारे गुनाहों से
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ ना दे

टूट चुके सब प्यार के बंधन
आज कोई जंजीर नहीं
शीश-ए-दिल में अरमानों की
आज कोई तस्वीर नहीं  
अब शाद हूँ मैं आज़ाद हूँ मैं
कुछ काम नहीं है आहों से
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ ना दे

जीवन बदला दुनिया बदली
मन को अनोखा ज्ञान मिला
आज मुझे अपने ही दिल में
एक नया इंसान मिला
पहुंचा हूँ वहाँ नहीं दूर जहाँ
भगवन भी मेरे निगाहों से
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ ना दे

आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ ना दे
दर्द में डूबे गीत ना दे
गम का सिसकता साज़ ना दे

ए दिल-ए-नादान



ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है जुस्तजू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

हम भटकते हैं
क्यूँ भटकते हैं
दश्त-ओ-सेहरा में
ऐसा लगता है
मौज प्यासी है
अपने दरिया में
कैसी उलझन है
क्यूँ ये उलझन है
एक साया सा रु-ब-रु क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

क्या क़यामत है
क्या मुसीबत है
कह नहीं सकते
किस का अरमां है
जिंदगी जैसे खोयी खोयी है
हैरां हैरां है
ये ज़मीं चुप है
आसमां चुप है
फिर ये धडकन सी चार सू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

ए दिल-ए-नादान
ऐसे राहों में कितने कांटे हैं
आरजूओं ने
हर किसी दिल को दर्द बांटे हैं
कितने घायल हैं कितने बिस्मिल हैं
इस खुदाई में एक तू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है जुस्तजू क्या है
ए दिल-ए-नादान ए दिल-ए-नादान

अल्लाह तेरो नाम



अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम

मांगों का सिन्दूर ना छूटे
माँ बहनों की आस ना टूटे
देह बिना भटके ना प्राण
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम

ओ सारे जग के रखवाले
निर्बल को बल देने वाले
बलवानों को दे दे ज्ञान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम

अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान

आज फिर जीने की तमन्ना है



काँटों से खींच के ये आँचल
तोड़ के बंधन बाँधी पायल
कोई न रोको दिल की उड़ान को
दिल वो चला आ आ आ  

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

अपने ही बस में नहीं मैं
दिल है कहीं तो हूँ कहीं मैं
जाने क्या पाके मेरी जिंदगी ने
हंस कर कहा अहा हा हा हा
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

मैं हूँ गुबार या तूफां हूँ
कोई बताये मैं कहाँ हूँ
डर है सफर में कहीं खो ना जाऊं मैं
रास्ता नया आहा हा हा हा
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

कल के अंधेरों से निकल के
देखा है आँखें मलते मलते
फूल ही फूल जिंदगी बहार है
तय कर लिया आहा हा हा हा
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

आ जान-ए-जां



आ जान-ए-जां
आ मेरा ये हुस्न है जवां जवां जवां
तेरे लिए है आस लगाये
ओ ज़ालिम आ  जाना

ओ आँख से मस्ती टपके है टपके है
तू देखे ना
दिल का सागर छलके है छलके है
तू समझे ना
आ क्यूँ तडपाये तू क्यूँ तरसाए
ओ ज़ालिम आ जाना
आ जान-ए-जां
आ मेरा ये हुस्न है जवां जवां जवां
तेरे लिए है आस लगाये
ओ ज़ालिम आ  जाना

ओ दूर से कितनी आई हूँ आई हूँ
तू जाने ना
प्यार का तोहफा लायी हूँ लायी हूँ
तू माने ना
आ बेदरदी से तू क्यूँ ठुकराए
आ ज़ालिम आ जाना
आ जान-ए-जां
आ मेरा ये हुस्न है जवां जवां जवां
तेरे लिए है आस लगाये
ओ ज़ालिम आ  जाना

आ जान-ए-जां
आ मेरा ये हुस्न है जवां जवां जवां
तेरे लिए है आस लगाये
ओ ज़ालिम आ  जाना

कुछ दिल ने कहा



कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं
कुछ दिल ने सुना
कुछ भी नहीं

ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं

लेता है दिल अंगडाइयां
इस दिल को समझाए कोई
अरमां ना आँखें खोल दे
रुसवा ना हो जाये कोई
सपनो की परियां सोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं

दिल की तसल्ली के लिए
झूठी चमक झूठा निखार
जीवन तो सूना ही रहा
सब समझे आई है बहार
कलियों से कोई पूछता
हंसती हैं या वो रोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं

कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं
कुछ दिल ने सुना
कुछ भी नहीं

ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं


कहीं दीप जले कहीं दिल



कहीं दीप जले कहीं दिल
ज़रा देख ले आ कर परवाने
तेरी कौन सी हैं मंजिल
कहीं दीप जले कहीं दिल

मेरा गीत तेरे दिल की पुकार है
जहाँ मैं हूँ वहीँ तेरा प्यार है
मेरा दिल है तेरी महफ़िल
ज़रा देख ले आ कर परवाने
तेरी कौन सी हैं मंजिल
कहीं दीप जले कहीं दिल

ना मैं सपना हूँ ना कोई राज़ हूँ
इक दर्द भरी आवाज़ हूँ
पिया देर ना कर आ मिल
ज़रा देख ले आ कर परवाने
तेरी कौन सी हैं मंजिल
कहीं दीप जले कहीं दिल

दुश्मन है हजारों यहाँ जान के
ज़रा मिलना नज़र पहचान के
कई रूप में हैं कातिल
ज़रा देख ले आ कर परवाने
तेरी कौन सी हैं मंजिल
कहीं दीप जले कहीं दिल

कहीं दीप जले कहीं दिल
ज़रा देख ले आ कर परवाने
तेरी कौन सी हैं मंजिल
कहीं दीप जले कहीं दिल


रुला के गया सपना मेरा



रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

वही है गम-ए-दिल
वही है चन्दा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही है
और हर बात वही है
फिर भी ना आया लूटेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

कैसी ये ज़िंदगी
कि साँसों से हम ऊबे
कि दिल डूबा हम डूबे
इक दुखिया बिचारी
इस जीवन से हारी
उस पर ये गम का अँधेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

सुनो सजना पपीहे ने



सुनो सजना पपीहे ने
सुनो सजना पपीहे ने
कहा सबसे पुकार के
संभल जाओ चमन वालों
कि आये दिन बहार के
सुनो सजना सुनो सजना

फूलों की डालियाँ भी यही गीत गा रही हैं
घड़ियाँ पिया मिलन की नज़दीक आ रही हैं
हवाओं ने जो छेड़ें हैं फ़साने हैं वो प्यार के
संभल जाओ चमन वालों
कि आये दिन बहार के
सुनो सजना सुनो सजना

देखो ना ऐसे देखो मर्ज़ी है क्या तुम्हारी
बेचैन कर ना देना तुमको कसम हमारी
हमीं दुश्मन ना बन जाएँ कहीं अपने करार की
संभल जाओ चमन वालों
कि आये दिन बहार के
सुनो सजना सुनो सजना

बागों में पड़ गए हैं सावन के मस्त झूले
ऐसा शमा जो देखा राही भी राह भूले
कि जी चाहा यहीं रख दें उमर सारी गुज़ार के
संभल जाओ चमन वालों
कि आये दिन बहार के
सुनो सजना सुनो सजना

सुनो सजना पपीहे ने
सुनो सजना पपीहे ने
कहा सबसे पुकार के
संभल जाओ चमन वालों
कि आये दिन बहार के
सुनो सजना सुनो सजना


मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम




मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहार दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

ए मेरे ख्वाब की ताबीर मेरी जान-ए-गज़ल  
जिंदगी मेरी तुझे याद किये जाती है
रात दिन मुझको सताता है तस्सवुर तेरा
दिल की धडकन तुझे आवाज़ दिए जाती है
आ मुझे अपनी सदाओं का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

भूल सकती नहीं आँखें वो सुहाना मंज़र
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारों नगमे
मैं वो नगमे तेरी आवाज़ को दे आया था
साज-ए-दिल को उन्ही गीतों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैंने
मेरे रग रग में कोई बर्क सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैंने
आ मुझे फिर उन्ही हाथों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

मैंने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है की मैं फिर तेरा दीदार करूँ
तेरे साये को समझ कर मैं हसीन ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ
अपनी महकी हुयी जुल्फों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

ढूँढता हूँ तुझे हर राह में हर महफ़िल में
थक गए हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आखरी दिन
कल ना जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो सनम
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख से
इक यही मेरा इलाज़-ए-गम-ए-तन्हाई है
तेरी फुर्क़त ने परेशां किया है मुझको
अब तो मिल जा कि मेरी जान पे बन आई है
दिल को भूली हुयी यादों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम

मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहार दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम 

दिल की गिरह खोल दो



दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ

मिलने दो अब दिल से दिल को
मिटने दो मजबूरियों को
शीशे में अपने डुबो दो
सब फासलों दूरियों को
आँखों में मैं मुस्कुराऊँ तुम्हारे
जो तुम मुस्कुराओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ

हम तुम ना हम तुम रहें अब
कुछ और ही हो गए अब
सपनो की झिलमिल नगर में
जाने कहाँ खो गए अब
हम राह पूछे किसी से
ना तुम अपनी मंजिल बताओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ

कल हमसे पूछे जो कोई
क्या हो गया था तुम्हे कल
मुड़कर नहीं देखते हम
दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कहीं रह गए
अब उन्हें मत बुलाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ

दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए



कहाँ चला ए मेरे जोगी
जीवन से तू भाग के
किसी एक दिल के कारण
यूँ सारी दुनिया त्याग के

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

तन से तन का मिलन हो ना पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर ही से सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको संसार में
है दिया ही बहुत रौशनी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हे
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गयी है तो क्या
दूसरा तुम जहान क्यूँ बसाते नहीं
दिल ने चाहा भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सबकी खुशी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए

ए मेरे वतन के लोगों



ए मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर ना आये

ए मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आजादी
जब तक थी सांस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी  
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

कोई सिक्ख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरने वाला
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर
वो खून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

थी खून से लथपथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस दस को एक ने मारा
फिर गिर गए होश गंवाके
जब अंत समय आया तो
कह गए के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफर करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी  
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

तुम भूल ना जाओ उनको
इसलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जय हिंद जय हिंद की सेना
जय हिंद जय हिंद जय हिंद