तुम्हें याद करते करते
जायेगी रैन सारी
तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी
तुम्हे याद करते करते ....
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मन है की जा बसा है अनजान इक नगर में ...
कुछ खोजता है पागल खोयी हुयी डगर में
इतने बड़े महल में घबराऊँ मैं बिचारी
तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी
तुम्हे याद करते करते
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बिरहा की इस चिता से तुम ही मुझे निकालो
जो तुम न आ सको तो मुझे स्वप्न में बुला लो
मुझे ऐसे मत जलाओ मेरी प्रीत हैं कुंवारी ....
तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी
तुम्हे याद करते करते ...
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