ग़ैरों पे करम अपनों पे
सितम
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम ...
......
हम चाहने वाले हैं तेरे ...
यूँ हमको जलाना ठीक नहीं .....
महफ़िल में तमाशा बन जाये ...
इस दरज़ा सताना ठीक नहीं ....
मर जायेंगे हम मिट जायेंगे हम ....
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
.......
ग़ैरों के थिरकते शाने पर ...
ये हाथ गंवारा कैसे करें ....
हर बात गंवारा है लेकिन ...
ये बात गंवारा कैसे करें .....
तुझको तेरी बेदरदी की कसम ...
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर ...
....
हम भी थे तेरे मंज़ूर-ए-नज़र ...
जी चाहे तो अब इक़रार न कर ....
सौ तीर चला सीने पे मगर ...
बेगानों से मिलकर वार न कर ...
बेमौत कहीं मर जाये न हम...
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर ....
......
ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम ...
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम ...
......
हम चाहने वाले हैं तेरे ...
यूँ हमको जलाना ठीक नहीं .....
महफ़िल में तमाशा बन जाये ...
इस दरज़ा सताना ठीक नहीं ....
मर जायेंगे हम मिट जायेंगे हम ....
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
.......
ग़ैरों के थिरकते शाने पर ...
ये हाथ गंवारा कैसे करें ....
हर बात गंवारा है लेकिन ...
ये बात गंवारा कैसे करें .....
तुझको तेरी बेदरदी की कसम ...
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर ...
....
हम भी थे तेरे मंज़ूर-ए-नज़र ...
जी चाहे तो अब इक़रार न कर ....
सौ तीर चला सीने पे मगर ...
बेगानों से मिलकर वार न कर ...
बेमौत कहीं मर जाये न हम...
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर ....
......
ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम
ए जाने वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम ...
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